जब बच्चे चिल्लाते हैं रहते हैं तो कहता हैं मुझे ये चाहीए, मुझे वो चाहीए, मुझे इतना चाहीए, इतना ही नही लुँगा, ज्यादा लुँगा, तरह तरह के नखङे करते रहते हैं और जैसे ही जोर का थप्पर कान के निचे लगता हैं तुरंत शांत हो जाता हैं और फिर कहता हैं जितना ही मिलेगा उतना ही ठीक हैं दुबारा जुवान खोलने की हिम्मत नही होता हैं, लही हाल पासवान, माझी और कुशवाहा की हो गई हैं पहले कुदता था इतना नही उतना और अब कह रहा हैं जितना ही मिलेगा उतना ही ले लुँगा,
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