Thursday 10 September 2015

आज DUSU Elections के लिए चुनाव का दिन है हमारे देश की छात्र- युवा राजनीति के कुछ स्पष्ट आधार हैं- राष्ट्रीय युवा संगठन, कालेजों के छात्र संघ, छात्र असंतोष, सत्ता प्रतिष्ठान की नई पीढ़ी की समस्यायों के प्रति नीतियों, नई पीढ़ी के रूझान तथा राष्ट्रीय राजनीति में छात्र- युवजनों की अपेक्षाओं के अनुरूप इस जटिल आधार की रचना करते हैं। आज राष्ट्रीय युवा संगठनों का क्या हाल है? सभी राष्ट्रीय दलों की केंद्रीय या राज्यस्तरीय सत्ता में हिस्सेदारी है। अब अंदोलन से सहज परहेज है। युवा संगठनों में उच्च मध्यवर्गीय तथा नवदौलतिया तबकों का बोलबाला होता जा रहा है। इससे जमीन से जुड़े नेताओं के बजाय गगन बिहारी युवा नेताओं का महत्व बढता जा रहा है। नई राजनीतिक संस्कृति का यह ठोस यथार्थ है। चाहे तो देखिये, चाहे तो मुहँ फेर लीजिए। अगर कोई युवक संगठन पुराने संस्कार वाले नेतृत्व या मजबूत आस्था वाले कार्यकर्ताओ की ताकत पर ठोस लड़ाई करता भी है, तो समाचारों में गम्भीरता से उसका उल्लेख नहीं होता। आज बेरोजगारी के प्रश्न पर हर कालेज की दीवारें रंग दी जानी चाहिए। विद्यार्थीयों को छात्रावास से लेकर संसद तक हर संभव मंच में रोजगार मूलक आर्थिक बदलाव के लिए सशक्त ललकार लगाने होंगे। "लोन मेला" की लंबी कतारें से निकलकर आर्थिक स्वराज्य की लड़ाई का हिस्सा बनना होगा। इस स्वराज्य संघर्ष में किसानों के लिए उचित दाम और मजदूरों के लिए न्यायसंगत मजदूरी की लड़ाईयां एक साथ जुड़े मानीं जाने चाहिए।

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