ख़बर आ रही है कि BJP की सीट शेयरिंग फॉर्मूले से मांझी नाराज हो गये है,उन्होंने आपने आप को हमेसा से पासवान की पार्टी से बड़ी पार्टी समझी,इसी बात पर उन्होंन कहा था ,की हमारे पास 13 हीरो। जबकि पासवान उनके सामने तो जीरो है पिछले दिनों जो दिनों जो विवाद हुआ था उसको सबसे बड़ा कारन व् यही था ,वैसे सूत्रों कहना है है की मांझी अपने पार्टी को 1 सीट भी ज्यादा पासवान से दिलाने को अड़े है ,यह साबित करने को की वे बिहार में राजग गठबंदन की दूसरी बड़ी पार्टी है।
Saturday, 12 September 2015
AKHTARUL IMAN, FACE OF AIMIM IN BIHAR ASSEMBLY ELECTION
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार चुनाव लड़ने का औपचारिक ऐलान कर दिया है,ओवैसी की पार्टी सीमांचल के चार जिलों में चुनाव लड़ेगी. उन्होंने इन इलाकों को ‘पिछड़ा’ बताते हुए यहाँ अपने उमीदवार उतारने की घोषणा की, वो कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जल्द ही ऐलान किया जाएगा,ओवैसी ने उस वक़्त बिहार विधानसभा में 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था.किशनगंज के अख्तरुल ईमान ओवैसी की पार्टी के बिहार का चेहरा बने हैं.ये पूर्व में राजद से कोचाधामन सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके है ,और विगत लोकसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर मैदान में तो उतरे मगर अल्पसंख्यक एवँ छेत्र हिेत में मैदान से अपने आप को वापस कर लिए.
RAMA SINGH DERAILED FROM PARTY TRACK
रमा सिंह ने ये भी कहा कि पार्टी के बड़े फैसलों में पुराने नेताओं की पूछ नहीं हो रही है. उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि अगर पार्टी मुझे निकाल देगी तो मुझे ख़ुशी होगी. इससे साबित हो रहा है कि कुछ नेता पार्टी से नाराज चल रहे है. तभी उन्होंने खुल कर मीडिया के सामने ये बयान दिया है.
हालांकि बाद में रमा सिंह ने सफाई भी दिया कि उनकी पार्टी ने उनकी बात नहीं सुनी इसलिए मीडिया में ये बात सामने आई और फिर धमकीं भी दिया की अगर पार्टी नहीं सोचेगी तो मुझे सोचना होगा.
हालांकि बाद में रमा सिंह ने सफाई भी दिया कि उनकी पार्टी ने उनकी बात नहीं सुनी इसलिए मीडिया में ये बात सामने आई और फिर धमकीं भी दिया की अगर पार्टी नहीं सोचेगी तो मुझे सोचना होगा.
NDA SEAT SHARING
जब बच्चे चिल्लाते हैं रहते हैं तो कहता हैं मुझे ये चाहीए, मुझे वो चाहीए, मुझे इतना चाहीए, इतना ही नही लुँगा, ज्यादा लुँगा, तरह तरह के नखङे करते रहते हैं और जैसे ही जोर का थप्पर कान के निचे लगता हैं तुरंत शांत हो जाता हैं और फिर कहता हैं जितना ही मिलेगा उतना ही ठीक हैं दुबारा जुवान खोलने की हिम्मत नही होता हैं, लही हाल पासवान, माझी और कुशवाहा की हो गई हैं पहले कुदता था इतना नही उतना और अब कह रहा हैं जितना ही मिलेगा उतना ही ले लुँगा,
Thursday, 10 September 2015
आज DUSU Elections के लिए चुनाव का दिन है हमारे देश की छात्र- युवा राजनीति के कुछ स्पष्ट आधार हैं- राष्ट्रीय युवा संगठन, कालेजों के छात्र संघ, छात्र असंतोष, सत्ता प्रतिष्ठान की नई पीढ़ी की समस्यायों के प्रति नीतियों, नई पीढ़ी के रूझान तथा राष्ट्रीय राजनीति में छात्र- युवजनों की अपेक्षाओं के अनुरूप इस जटिल आधार की रचना करते हैं। आज राष्ट्रीय युवा संगठनों का क्या हाल है? सभी राष्ट्रीय दलों की केंद्रीय या राज्यस्तरीय सत्ता में हिस्सेदारी है। अब अंदोलन से सहज परहेज है। युवा संगठनों में उच्च मध्यवर्गीय तथा नवदौलतिया तबकों का बोलबाला होता जा रहा है। इससे जमीन से जुड़े नेताओं के बजाय गगन बिहारी युवा नेताओं का महत्व बढता जा रहा है। नई राजनीतिक संस्कृति का यह ठोस यथार्थ है। चाहे तो देखिये, चाहे तो मुहँ फेर लीजिए। अगर कोई युवक संगठन पुराने संस्कार वाले नेतृत्व या मजबूत आस्था वाले कार्यकर्ताओ की ताकत पर ठोस लड़ाई करता भी है, तो समाचारों में गम्भीरता से उसका उल्लेख नहीं होता। आज बेरोजगारी के प्रश्न पर हर कालेज की दीवारें रंग दी जानी चाहिए। विद्यार्थीयों को छात्रावास से लेकर संसद तक हर संभव मंच में रोजगार मूलक आर्थिक बदलाव के लिए सशक्त ललकार लगाने होंगे। "लोन मेला" की लंबी कतारें से निकलकर आर्थिक स्वराज्य की लड़ाई का हिस्सा बनना होगा। इस स्वराज्य संघर्ष में किसानों के लिए उचित दाम और मजदूरों के लिए न्यायसंगत मजदूरी की लड़ाईयां एक साथ जुड़े मानीं जाने चाहिए।
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